लघुकथा शीर्षक : मरण-सुख
-मैथिली अनुवादक- श्यामपृत 'स्वाभिमानी'
एक बेर युद्धम रोमक शासक हारि गेलै। उसबके हत्थकरी आ जञ्जीरम बान्हि देलकै आ मनुष नै आबजाइ बाला जंगलमे छोरि देलकै। उसब जंगल हिंसक जानबरक भोजन बनपरतै कैहक चिंताम पैर गेलै। सबगोटे जित्ते मोरल जका भ्यागेलै।
कुछ देर बाद एगो लोहारक लाबल गेलै । ऊ मुस्कुराइत रहै। शासक सङे वकरो छोरि देलकै।
शासक सबके अन्हार भेल मुह देखक लोहार पेटकुन्नीयाँ पारि हँसलागलै। शासक सबक आश्चर्ज भ्यागेलै। कैदी राजा बाजलै, हौ लोहार भाई। हमरौरे क गैत जका तोहरो गैत छ।
हमरौर क जित्ते मैर रहल चियै। आ तोंहे हैंसहैंसक टरि रहल छ। ऐ समस्यासँ निकलैक कोनो रास्ता मालुम छ,त जल्दी बताब। नाञ त एना पागल जका हँसैल बन्द कर। किएक त पागलपन कोनो समस्याक समाधान नै चियै।
लोहार शान्त भ्यागेलै। हाथ जोरिक कहलकै, आउर कोइ बनेन रैहतियै त इ हत्थकरी आ जञ्जीर हम एक क्षणम तोरि सकै छलियै। दुर्भाग्यवश ! इ हमर बन्याल हत्थकरी चियै। एकरा खोलैक कोनो सुत्र नै छै। महाराजक हुकुम सँ हम जीवन भरिक अपन सुझिबुझिसँ इ चिजबिज क बनेन चियै।
राजा कोइ नै खोलि सकै तेहेन जञ्जीर बनबैक आदेश देलहा बात क याद केलकै। इमान्दारीताम चुक्ला प जान दिय परैक धम्की क सोहो मोनेमोन सोचलकै। लोहारक राजभक्तिक जानि राजा नतमस्तक भेलै। आ, अपन भुल प उ पचतेलै।
कैदी मन्त्रीक प्रश्नक उत्तरम लोहार कहलकै, मरैल त सबक परतै। वना कहिते माथे, ककरो जित्ते मोरल जका मरबाक नै चाहिँ। हैंसते मोरैक चाहिँ। तब न मोरैयो मे मजा येतै।
संदेश: अपना सबक हर असर कुअसरसँ लाभ लैल नै चुकैक चाहिँ।
(मूल लघुकथाकार - नन्दलाल आचार्य )
अनुवादककाे साहित्यिक विवरण-
१.मूल नाम: श्याम पृत मण्डल
२.साहित्यिक नाम : श्याम पृत 'स्वाभिमानी'
३.अन्य नाम , उपनाम : मास्टर जी,
श्याम जी, नैतिक सर
४.जन्म मिति र जन्मस्थान: २०५०/०१/०३, साबिक गाविस नर्घो पछवारी टोल वडा नं-६, हाल राजगढ गापा- ०३,नर्घो पछवारी टोल, सप्तरी
५.शिक्षा: बि.एड( गणित), एम.एड ( अध्ययनरत )
६.पहिलो रचना( विधा):
-कविता 'इतिहास'(न्यु स्वर्णिम सन्धया सप्ताहिकमा,२०७१ )
-कविताहरु: छोरी(न्यु स्वर्णिम सन्धया सप्ताहिकमा,२०७१ ),
मैथिली भाषाको कविता: छिलैय घाँस (जनमत पत्रिका- २०७६)
७. पहिलो लघुकथा: ललका बेल्ट
८. साहित्य लेखनको प्रेरणा– प्राकृतिक र विविध संस्कृतियुक्त ग्रामीण जीवनशैली, गाँउले जीवनयापनको अनुभूति, +२ सम्म नेपाली विषयमा साहित्य पढ्ने अवसर , अादरणीय नन्दलाल अाचार्य ज्यु र श्रद्धेय देवन्द्र मिश्र सरको विशेष अनुकम्पा र छत्रछायाले मलाई साहित्य लेखनमा ऊर्जा दिएको ।
Biodata
नामः श्याम पृत मण्डल
ठेगाना : राजगढ गापा-३,नर्घो पछवारी टोल, सप्तरी
बुवा: श्रीराम मण्डल
अामा: देबकी देवी
बाजेः श्री शोभालाल मण्डल
पेशाः शिक्षक
शिक्षा: बि.एड (गणित), एम.एड(अध्ययनरत )
रुचि: शिक्षण, लेखन, समाजसेवा
सम्पर्क नम्बर : ९८०५९९७९५९
Email: shyampritmandal@gmail.com
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